मोदी से मिलते ही क्यों निशाने पर आए शरद पवार?






- शरद पवार के घर पर हमले से महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में उठे सवाल

- शुक्रवार को दोपहर आंदोलनकारियों ने शरद पवार के घर पर बोला हमला

- चूड़ियां तोड़ी, पत्थर फेंके, चप्पल फेंके और विरोध में नारे लगाए

- भाजपा नेता अनिल बोंडे ने का विवादित बयान

- विश्वास नागरे पाटिल के नेतृत्व में पुलिस करेगी सियासी साजिश की जांच


डेली ज़िंदगी रिपोर्ट: शिवप्रताप @ मुंबई

डेली ज़िंदगी फोटो: सचिन हळदे @ मुंबई


महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के शिल्पकार शरद पवार ने बुधवार को संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. बाद में विभिन्न राजनीतिज्ञों के बयानों से स्पष्ट हुआ कि शरद पवार ने महाराष्ट्र में शिवसेना सांसद संजय राऊत पर की जा रही ईडी की कार्रवाई को अनुचित बताते हुए इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की. वहीं दिल्ली में शरद पवार के साथ भाजपा नेता व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नजर आए. इसके एक दिन पहले ही ‘लोकमत’ अखबार ने यह खबर चलाई कि भाजपा में एक ऐसा भी नेता है जो अपने साथ ढाई सौ सांसदों का समर्थन रखता है और वैचारिकता का ख्याल रखते हुए केंद्र सरकार गिरा देने की क्षमता रखते हुए भी अब तक शांत है.

इसके बाद गुरुवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर और सुप्रिया सुले के सदन के एक वीडियो को वायरल कर अभद्र टिप्पणियों का सिलसिला चलाने की नाकाम कोशिश की गई. दरअसल सदन में नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला अपना बयान रख रहे थे. इसके बाद सुप्रिया सुले को अपनी बात रखनी थी. सुप्रिया सुले ने इस बीच पिछली बेंच पर बैठे शशि थरूर से कुछ पूछा. फारुक अब्दुल्ला के भाषण में विघ्न न पैदा हो इसलिए थरूर ने कुछ आगे सरक कर अपना कान सुप्रिया की ओर कर दिया ताकि उनकी बात सुन सके. इस फुटेज को वायरल कर सुप्रिया सुले की छवि को धूमिल करने का नाकाम प्रयास किया गया.

इस बीच गुरुवार को दिल्ली से लौटे संजय राऊत का मुंबई एयरपोर्ट पर शिवसैनिकों ने जोरदार स्वागत किया. इस दौरान संजय राऊत ने कहा कि क्या अब भी यह बात छिपी है कि मैं शरद पवार का आदमी हूं.

इन घटनाओं के बाद अब शुक्रवार को दोपहर सवा तीन बजे के करीब आंदोलनकारी एसटी कर्मचारियों ने शरद पवार के घर सिल्वर ओक पर हमला कर दिया. जिस समय यह हमला हुआ, शरद पवार, उनकी पत्नी और सुप्रिया सुले की बेटी घर में मौजूद थे. हिंसक हो उठे आंदोलनकारियों ने शरद पवार के घर पर जूते-चप्पल और पत्थर फेंके. आंदोलनकारी महिलाओं ने चूड़ियां तोड़ीं. बाद में वहां पपहुंची सुप्रिया सुले ने आंदोलनकारियों से हाथ जोड़कर हिंसा के बजाय शांति से बैठकर समस्या का हल निकालने की गुजारिश की. लगभग 20 मिनट बाद पहुंची पुलिस ने 23 महिलाओं सहित 107 आंदोलनकारियों को हिरासत में लिया.

अब महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि पीएम मोदी से मिलते ही शरद पवार और उनका परिवार इस तरह निशाने पर क्यों आ गया है? लगे हाथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस हिंसक आंदोलन के पीछे किसी तरह की राजनीतिक साजिश की गई है? पुलिस को और खुफिया एजेंसियों को इस आंदोलन की भनक कैसे नहीं लगी? फिलहाल इस घटना के बाद महाराष्ट्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी तेज हो गई है. वहीं कुछ सवाल भी उठने लगे हैं.

कोर्ट के फैसले से जगी थी सब कुछ ठीक होने की उम्मीद
पिछले पांच महीनों से एसटी कर्मचारी एसटी महामंडल को राज्य सरकार में विलय करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. राज्य सरकार से कई बार बातचीत हुई, लेकिन पूरा समाधान नहीं निकल पाया. इस बीच हाई कोर्ट ने एसटी हड़ताल के खिलाफ निगम की याचिका समेत अन्य सभी याचिकाओं का निस्तारण कर दिया है. हाई कोर्ट ने श्रमिकों को 22 अप्रैल, 2022 तक काम पर लौटने का निर्देश दिया है. उधर, सरकार को एसटी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं. हाई कोर्ट ने निगम को एसटी कर्मचारियों को पेंशन देने का भी निर्देश दिया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद राज्य में एसटी फिर से चलने की संभावना जग गई थी.

सिल्वर ओक हिंसा के पीछे कोई सियासी साजिश तो नहीं?
अब यह सवाल उठ रहा है कि हाईकोर्ट के इस तरह अल्टीमेटम देने के बाद हड़ताली कर्मचारी शरद पवार के प्रति आक्रमक क्यो हो उठे? भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर और विधायक सदा खोत के आंदोलन से पल्ला झाड़ने के बाद वकील गुणरत्न सदावर्ते एसटी कर्मचारियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं. सदावर्ते ने बार-बार कहा है कि एसटी महामंडल के सरकार में विलय न होने देने के लिए शरद पवार जिम्मेदार हैं. इसलिए शरद पवार के घर पर हमले के बाद कुछ एनसीपी कार्यकर्ताओं ने सदावर्ते के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, लेकिन गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने सजगता अपनाते हुए किसी का सीधे नाम लिए बिना बस इतना कहा कि इस हमले के पीछे अज्ञात शक्तियों का हाथ हो सकता है. खबर है कि पुलिस अधिकारी विश्वास नागरे पाटिल के नेतृत्व में पुलिसबल इस साजिश की जांच-पड़ताल करेगा. अब तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि इस हमले का सूत्रधार कौन है.

पुलिस और खुफिया विभाग के कामकाज पर उठे सवाल
हड़ताल की पृष्ठभूमि में कई दिनों से एसटी कर्मचारी आजाद मैदान में डटे हैं. राज्य सरकार ने वेतन वृद्धि सहित अन्य कई मांगों को पूरा करने की तैयारी दिखाई, लेकिन हड़ताली कर्मचारी विलय के मुद्दे पर डटे हुए हैं. राज्य सरकार के बाद हाई कोर्ट की ओर से भी विलय की बात न बनते देख इन हड़ताली कर्मचारियों के हिंसक हो उठने की पूरी संभावना थी. इसके बाद भी पुलिस महकमा और खुफिया एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे बैठी रही, जब तक कि शरद पवार के घर पर हमला नहीं हो गया. ऐसे में पुलिस और खुफिया विभाग के कामकाज पर सवाल उठ रहे हैं.

क्यों टूटा एसटी कर्मचारियों के सब्र का बांध?
विलय की मांग लेकर एसटी कर्मचारी नवंबर से हड़ताल पर हैं. इस बीच सरकार से हुई कई बार की बातचीत में कोई ठोस हल नहीं निकल पाया. निराशा की गर्त में डूबे कुछ एसटी कर्मचारियों ने तो आत्महत्या भी कर ली. राज्य सरकार ने विलय संभव न होने संबंधी रिपोर्ट भी विधानसभा में पेश की. वहीं हाईकोर्ट ने हड़ताली एसटी कर्मचारियों को काम पर उपस्थित होने का अल्टीमेटम दे दिया. ऐसे में कोई उम्मीद बची न देख शायद एसटी कर्मचारियों के सब्र का बांध टूट गया.

क्या बोले शरद पवार
अपने घर पर हमला होने के बाद पुणे के लिए रवाना हुए शरद पवार ने कहा कि मैं हमेशा सर्वसामान्य एसटी कर्मचारियों के साथ खड़ा हूं, लेकिन उनके गलत नेतृत्व के साथ नहीं हूं. मैं पिछले पचास वर्षों से कर्मचारियों के अधिवेशन में हाजिर होता रहा हूं. लेकिन अब कुछ लोग कर्मचारियों को गुमराह कर उन्हें हिंसक भूमिका अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री सख्त, दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश
इस बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले पर सख्ती दिखाई है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों से बार-बार बातचीत की है, उनकी योग्य मांगों को माना है, इस बारे में बार-बार कोर्ट को भी जानकारी दी है, इसे देखते हुए कोर्ट ने कर्मचारियों को काम पर हाजिर होने को कहा है. जब सब ठीक होने जा रहा था तब इस तरह अचानक वरिष्ठ नेता शरद पवार के घर पर हमला करने की घटना निंदनीय है. इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई किए जाने के निर्देश पुलिस को दिए गए हैं. नेताओं या उनके पविार के सदस्यों पर हमला करने की संस्कृति कभी महाराष्ट्र में नहीं रही है.

सदावर्ते ने क्या कहा
इस दौरान एसटी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वकील गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि जब यह घटना घटी तब मैं कोर्ट में सुनवाई में व्यस्त था. वहां से बाहर निकलने के बाद मुझे इसकी जानकारी मिली. श्रमिकों के हंगामे के लिए राज्य सरकार ही जिम्मेदार है. इस बीच खबर है कि पुलिस अधिकारियों ने परेल में सदावर्ते के घर पहुंचकर उन्हें हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए गांवदेवी पुलिस थाने ले गए. उनकी गिरफ्तारी की पूरी संभावना है.

फडणवीस ने दिखाया संयम, बोंडे का विवादित बयान
शरद पवार के घर पर हमले के बाद भाजपा नेता व नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि किसी भी पार्टी के नेता के घर पर इस तरह का हमला निंदनीय है। प्रवीण दरेकर ने कहा कि सरकार हड़ताली कर्मचारियों की बात नहीं सुन रही है. हमला इसी का नतीजा है. लेकिन शरद पवार के घर सिल्वर ओक पर एसटी कर्मचारियों के हमले पर टिप्पणी देते हुए भाजपा नेता अनिल बोंडे ने कहा कि शरद पवार के आखिरी बुरे दिन शुरू हो चुके हैं. इसलिए अपनी सुरक्षा के लिए वे महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की गुहार करें.

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