28 साल की महिला के गर्भाशय से निकाला गया फुटबॉल आकार का फाइब्रॉएड

Football-sized fibroids removed from 28-year-old woman's uterus









महिला आठ महीने की गर्भवती महिला की तरह लग रहा थी

डेली ज़िंदगी रिपोर्ट @ मुंबई
मुंबई (डोंबिवली) में रहनेवाली एक २८ वर्षीय महिला के गर्भाशय से फुटबॉल आकार का १ किलो इतका फाइब्रॉएड निकालने में डोंबिवली के एसआरवी ममता अस्पताल के डॉक्टरों को सफलता हासिल हुई है। इस महिला पर लेप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी सर्जरी कराई गई है। अब महिला की प्रकृती स्थिर है. और उसे अस्पताल में डिस्जार्च दिया गया है.

फाइब्रॉएड प्रसव उम्र की महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है. वे गैर-कैंसर वाले विकास हैं, जो मांसपेशियों और रेशेदार ऊतक से बने होते हैं, और विभिन्न आकार और आकार के होते हैं. मुंबई के रहने वाले 28 वर्षीय महिला आईटी कंपनी में कार्यरत है। नवंबर महिने में इस महिला को पेट में दर्द शुरू हुआ. दर्द असहनीय होने के कारण उसने परिवारवालों ने उसे अस्पताल दाखिल किया. अस्पताल में अल्ट्रासाऊंड जांच में गर्भाशय में बडे ट्यूमर का पता चला. स्थानिक डॉक्टर ने उन्हे आगे के इलाज के लिए एसआरव्ही ममता अस्पताल जाने की सलाह दी.

डोंबिवली के एसआरवी ममता अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ और लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ जैनेश डॉक्टर ने कहा, “यह महिला इलाज के आई तब उसका पेट ८ महिने की गर्भवती लग रही थी. वैद्यकीय जांच में उनके गर्भाशय में फ्राइब्रॉएड का पता चला. ज्यादातर महिलांओं में फ्राइब्रॉएड की समस्या दिखाई देती है. फाइब्रॉएड वाली ५०% महिलाओं को तब तक पता नहीं चलता जबतक दर्द शुरू ना हो. मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव, मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द, बार-बार पेशाब आना और कभी-कभी दस्त जैसी विभिन्न प्रस्तुतियों का कारण बन सकते हैं. वे न केवल बांझपन का कारण बनते हैं बल्कि सामान्य प्रसव और सीजेरियन सेक्शन के दौरान अक्सर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं. ३५ वर्ष से कम उम्र की ४०% महिलाएं यानी उनकी प्रजनन आयु में फाइब्रॉएड से पीड़ित हैं.

डॉ. जैनेश ने आगे कहॉं की, “फाइब्रॉएड की उपस्थिति के परिणामस्वरूप, भारी मासिक धर्म के सभी मुकाबलों के कारण, रोगी गंभीर रूप से एनीमिक था. उसे तुरंत भर्ती कराया गया और ट्रांसफ्यूज किया गया. उन्नत इमेजिंग तकनीकों का उपयोग करके उसके गर्भाशय को फाइब्रॉएड के लिए मैप किया गया था और एक 3 डी पुनर्निर्माण किया गया था, ताकि हम भविष्य में बच्चे के जन्म के लिए उसके गर्भाशय को बचा सकें और उसकी प्रजनन क्षमता को संरक्षित कर सकें. लेप्रोस्कोपिक मायोमेक्टोमी की और उन्नत उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके 1.2 सेमी के छोटे चीरे से पूरे १ किलो का ट्यूमर निकाला. सर्जरी ४ घंटे तक चली. सर्जरी के १२ घंटे के भीतर मरीज ने चलना शुरू कर दिया था. उसे ३ दिनों के बाद अस्पताल से डिस्जार्च दिया गया.”

मरीज ने कहॉं की, “फाइब्रॉइड्स के कारण पेट में दर्द और भारी मासिक धर्म के कारण में परेशान थी. पेट दर्द सहनीय हो रहा था. घरेलू उपचार से भी दर्द कम नहीं हो रहा था. वैद्यकीय जाचं में गर्भाशय में १ किलो ट्यमुर का पता चलने पर में डर गई थी. लेकिन एसआरव्ही अस्पताल ने डॉक्टरोंने सर्जरी करके इस ट्युमर का निकाला है. डॉक्टरों के प्रयास के कारण मैं अब ठिक हु और पेट दर्द चला गया है.

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