वर्ष 2021-22 में मध्य रेल द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेडेशन के उल्लेखनीय कार्य


मानवयुक्त समपारों को हटाने में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

डेली ज़िंदगी रिपोर्ट @ मुंबई


वर्ष 2021-22 के दौरान, मध्य रेल ने नई लाइन, दोहरीकरण, तीसरी/चौथी और पांचवीं/छठी लाइन और विद्युतीकरण सहित विभिन्न इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड (बुनियादी ढांचे के उन्नयन) में मील के पत्थर हासिल किए हैं. मध्य रेल पर नई लाइनें, दोहरीकरण, तीसरी लाइन और 5वीं और 6वीं लाइन का कार्य अब तक का सबसे अधिक कमीशंड किया गया.

कुल 177.11 किमी निम्नानुसार है:

- सोलापुरवाड़ी-आष्टी अहमदनगर-बीड-परली वैजनाथ परियोजना का 31 किमी नई लाइन खंड

- तकारी-किर्लोस्करवाड़ी का दोहरीकरण (8.46 किमी); आम्बले-राजेवाड़ी (4.72 किमी), लोनंद-सलपा-अदरकी (17 किमी) और पुणे मिरज दोहरीकरण परियोजना का किर्लोस्करवाड़ी-अमनापुर-भीलवाड़ी (13.66 किमी) खंड

- दौंड-मनमाड दोहरीकरण परियोजना का अंकाई-अंकाई किला (4.58 किमी)

- दौंड-वाडी दोहरीकरण परियोजना का भलवानी-वाशिम्बे (26.37 किमी)

- जलगांव-भादली (12 किमी), वर्धा-बल्हारशा मार्ग के सोनेगांव-हिंगणघाट (16.17 किमी) और इटारसी-नागपुर मार्ग के काटोल-कोहली (25.15 किमी) के बीच तीसरी लाइन

- ठाणे-दिवा 5वीं और 6वीं लाइन परियोजना (18 किमी यानी 9 किमी की प्रत्येक लाइन)

339 किलोमीटर (रूट किलोमीटर) का विद्युतीकरण जिसके परिणामस्वरूप पुणे-मिरज-कोल्हापुर (सिंगल लाइन) और दौंड-सोलापुर-वाडी सेक्शन का काम पूरा हो गया है. इसके परिणामस्वरूप स्वर्णिम चतुर्भुज मार्गों का 100% विद्युतीकरण भी हुआ है.

मध्य रेल ने 2021-22 में रोड ओवर ब्रिज / रोड अंडर ब्रिज और सीमित ऊंचाई सबवे के माध्यम से 90 मानवयुक्त समपारों को समाप्त करने में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. मुंबई मंडल 6; भुसावल मंडल 33, नागपुर 20, पुणे 20 और सोलापुर 11 मानवयुक्त समपारों को हटा दिया गया है. 78 के समपारों को हटाने का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2020-21 में हासिल किया गया था.

मध्य रेल के महाप्रबंधक अनिल कुमार लाहोटी ने कहा कि क्षमता वृद्धि से मध्य रेल को ट्रेन संचालन में बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि विद्युतीकरण पर्यावरण के अनुकूल है और मध्य रेल 2022-23 में अपने मार्गों का 100% विद्युतीकरण हासिल करने की पूरी संभावना है. लेवल क्रॉसिंग से ट्रैफिक जाम की स्थिति बन जाती है. इन मानवयुक्त समपारों को हटाना निश्चित रूप से सड़क उपयोगकर्ताओं के साथ-साथ रेलवे के लिए एक वरदान साबित होगा. यह सड़क उपयोगकतार्ओं के लिए सुरक्षा में भी सुधार करता है और ट्रेनों को देरी होने से बचाता है.





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