बड़ी सोच, हटी खोंच: खुली हवा में सांस लेगी मास्क-मुक्त मुंबई



नया साल, नई आजादी: आभार उद्धव सरकार

मेट्रो २-ए और मेट्रो-७ मार्गों पर परिचालन शुरू



रिपोर्ट: शिवप्रताप @ मुंबई

फोटो: सचिन हळदे @ मुंबई

गुढी पाडवा पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबईकरों को कई तरह की राहत प्रदान की है, जिसके लिए मुंबईकर सरकार का आभार मान रहे हैं. उद्धव सरकार ने राज्य में पिछले दो साल से कोरोना महामारी के नाम पर थोपे गए तरह-तरह के प्रतिबंधों का हटाने का निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में गुरुवार को लिया. इससे मुंबईकरों ने राहत की सांस ली है. एक ओर जहां ठाकरे सरकार ने कोरोना प्रतिबंधों से छूट दी है, वहीं मुंबई की लाइफलाइन कही जानेवाली लोकल ट्रेनों की भीड़ को कुछ कम करने के लिए मेट्रो ट्रेन की नई सेवाओं का तोहफा भी दिया है.



 
दहिसर-डहाणूकर वाड़ी और आरे-दहिसर (पूर्व) मेट्रो शुरू
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दहिसर से डहाणूकर वाड़ी (मेट्रो 2 ए) और आरे से दहिसर पूर्व (मेट्रो-7) तक मेट्रो ट्रेन की सेवा के परिचालन को हरी झंडी दे दी है. रेलवे सुरक्षा आयुक्त की ओर से पहले चरण में 20.73 किलोमीटर लंबे मार्ग पर 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से मेट्रो ट्रेन चलाने की अनुमति मिली है. ये मेट्रो ट्रेन सुबह 6:00 बजे से रात के 10:00 बजे के बीच 150 फेरियां प्रतिदिन लगाएगी. इसमें प्रति तीन किलोमीटर के लिए 10 रुपए किराया तय किया गया है. इसका न्यूनतम किराया 10 रुपए और अधिकतम किराया 50 रुपए है. यह मेट्रो-1 ( अंधेरी-घाटकोपर) के किराए से कम है. अनुमान है कि रोज तीन लाख यात्री इस मेट्रो सेवा का लाभ लेंगे. हर 11 मिनट के अंतराल पर मेट्रो चलेगी. उम्मीद जताई जा रही है कि मेट्रो शुरू हो जाने से वेस्टनर्न एक्सप्रेस हाइवे पर 21 प्रतिशत ट्रैफिक कम हो जाएगा. यह भी दावा किया जा रहा है कि आठ महीने बाद ये मेट्रो बिना ड्राइवर के चलने में सक्षम हो जाएगी.

राजनीति गरमाई
चूंकि शहर में मनपा चुनाव करीब हैं. इसलिए मेट्रो ट्रेनों का परिचालन शुरू होने पर राजनीति भी रफ्तार भरने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समर्थकों ने जगह-जगह पोस्टर लगाकर मेट्रो के कार्य के लिए फडणवीस को बधाई दी है. वेस्टर्न एक्सप्रेस पर ज्यादा पोस्टर लगाए गए हैं. अब मेट्रो का काम उद्धव सरकार ने पूरा कराया है और उसका परिचालन शाुरू कराया है, तो जाहिर है शिवसेना उसका श्रेय लेगी. यही पोस्टरबाजी यदि यूपी में हो और पुराने कार्यों का श्रेय समाजवादी पार्टी ले, तो भाजपाइयों को कैसा लगेगा? फिलहाल सवाल करना मना है.



न जुर्माना न सेटलमेंट
ठाकरे सरकार ने कोरोना प्रतिबंधों से जो राहत दी है उसमें सबसे बड़ी राहत मिली है चेहरे पर खोंच यानी मास्क लपेटे रहने से. अब मास्क न पहनने पर मार्शल किसी की गटई (गर्दन) पकड़कर दो सौ रुपए का जुर्माना या सौ-पचास में सेटलमेंट नहीं कर सकेंगे. मास्क पहनना अब व्यक्ति विशेष की इच्छा पर निर्भर करेगा. 14 मार्च 2020 से लोग तरह-तरह के कोरोना प्रतिबंधों से ऊब गए थे. सांस की तकलीफ वाले कई लोगों को मास्क न पहनने या नीचे कर लेने पर जुर्माना चुकाने की समस्या झेलनी पड़ी. सबसे बुरा हाल मरीन ड्राइव चौपाटी, दादर रेलवे स्टेशन और कुर्ला टर्मिनस का था. कुर्ला टर्मिनस पर तो क्लीनअप मार्शल किसी गिद्ध की तरह आंख गड़ाए खड़े रहते थे. जरा-सा मास्क चेहरे से खिसका नहीं कि सियारों की तरह घेर लेते थे और आपका खीसा हल्का करके ही चैन पाते थे. अब उद्धव सरकार ने मास्क पहनने को ऐच्छिक बनाकर बड़ी राहत दी है. अब कम से कम लोग खुली हवा में सांस ले पाएंगे और लोगों की सूरत और उसपे उभरे भावों से कुछ हद तक उनकी सीरत का पता चल सकेगा.

जुगाली करने और बेमतलब हवा में उड़ने का मौका गया
मास्क-मुक्त मुंबई के फैसले से बस मास्क के नीचे चुपचाप गुटखा-मावा चबानेवाले जुगालीखोरों को हल्की-फुल्की दिक्कत होगी. दरअसल अब तक वे बड़े आराम से मास्क के नीचे जुगाली जारी रखते थे, लेकिन अब आस-पास देखना पड़ेगा और अपने हवाहवाई रुतबे को बचाते हुए पिचकारी मारने की सही जगह तलाश करनी पड़ेगी. कमरों में खूंटियों पर लटके रंग-बिरंगे मास्कों पर धूल की परत चढ़ने का भी खतरा रहेगा. एन-95 मास्क पहननेवाले अपने आपको कुछ खास समझने के एहसास से हाथ धो बैठेंगे. खैर, सरकार का आभार, खुली हवा में सांस लेंगे, सावधानी बरतेंगे और खुद को स्वस्थ रखेंगे. सरकार के इस निर्णय से मास्क बेचनेवाले, मास्क बनानेवाले अपनी नाम मात्र की आय को अपनी आंखों के सामने खोते देखेंगे, लेकिन चिंता करने की बात नहीं है. खुली हवा में सांस लीजिए और नए अवसरों की तलाश कीजिए.

गवर्नमेंट सर्टिफाइड होने का एहसास खत्म
ट्रेनों, बसों में यात्रा के लिए अब वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट या यूनिवर्सल पास साथ लेकर चलने का झंझट नहीं रहेगा. लेकिन इससे उस एहसास से हाथ धोना पड़ेगा, जो व्यक्ति को सरकार प्रमाणित होने के दंभ से भर जाता था. वहीं पचास-साठ रुपए में लैमिनेटेड यूनिवर्सल कार्ड बनानेवाले गिरोहों का काम भी ठप पड़ जाएगा.

गिरगांव में शान से निकलेगी गुढी पाडवा रैली
दो साल से कोरोना संकट के चलते किसी भी त्योहार को ढंग से मनाने का मौका नहीं मिला. इस बार थोड़ा-बहुत होली में रंग जमा. अब प्रतिबंध हटने से गुढी पाडवा की रौनक एक बार फिर देखने को मिलेगी. गिरगांव में निकलनेवाली रैली की गौरव भरी तस्वीरें एक बार फिर सुर्खियों का हिस्सा बनेंगी.

गूंजेगा जय भीम, जगेगा विश्वास
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती धूमधाम से मनाई जा सकेगी. 14 अप्रैल को जगह-जगह धूमधाम से शोभायात्रा निकाली जा सकेगी. जयंती समारोह पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा. दरअसल आंबेडकर जयंती केवल आयोजन मात्र नहीं है बल्कि यह आयोजन करोड़ों वंचितों, शोषितों में यह विश्वास जगा जाता है कि कोई तो था, जो उनके हितों के लिए, उनके जीवन की बेहतरी के लिए ताउम्र भीम-सा डटा रहा.

गंगा-जमनी तहजीब का ख्याल
रमजान की रौनक भी इस बार देखने को मिलेगी. मोहम्मद अली रोड पर तरह-तरह के व्यंजन दिखेंगे. इफ्तार पार्टियों की बहार लौटेगी. जब पड़ोसी राज्य कर्नाटक में हलाल मीट और मंदिर परिसर के पास धर्म-विशेष के लोगों को प्रवेश की अनुमति न देने, धर्म-विशेष के लोगों से सामान नहीं खरीदने जैसे नए-नए जहरीले प्रयोग चल रहे हों, तो महाराष्ट्र सरकार का रमजान पर्व को पाबबंदियों से मुक्त करना थोड़ी राहत तो जरूर दे जाता है.

घर से मैदान तक खेल
अब सार्वजनिक मैदानों को भी खोल दिया गया है. जिस मुंबई शहर में इलाके की वर्ग फीट जमीन के दाम से आदमी की औकात तय होती हो, वहां चलने-फिरने और खेलने के लिए मैदान मिल जाने का सुख कोई मुंबईकर ही समझ सकता है. कोरोना काल में लोग अपने-अपने दड़बेनुमा घरों में सिमटे रहे. सोशल मीडिया पर मन मारकर ‘पहली बार पूरे परिवार के साथ भोजन’ करने की पोस्ट शेयर कर लाइक और शेयर बटोरते रहे और दिन-रात किसी भी तरह का एकांत न मिलने पर विवाहित होने पर भी सरकार समर्थित संन्यास की माला जपते रहे, उन्हें अब बच्चों को खेलने भेजकर कुछ खेलकूद करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा. खेल गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और मेलजोल बढ़ेगा. हां कुछ ऐसे नए-नए सेठ बने लोगों को तकलीफ हो सकती है, जो वरली या दादर से अपना झोंपड़ा बेचकर मीरा रोड या नालासोपारा में आलीशान अपार्टमेंट में रहने लगे हैं और मैदानों से उठता शोर उनकी प्राइवेसी में खलल डालता है.

होटल कारोबारियों को राहत
होटलों में अब ग्राहकों की संख्या सीमित रखने की बंदिश नहीं रहेगी. जाहिर है महंगाई की मार झेल रहे होटल मालिकों को अब थोड़ी राहत मिलेगी. वहीं होटलों में काम करनेवाले और कोरोनाकाल में बेरोजगार हो गए कर्मियों पर मातारानी की कृपा बरसेगी और उन्हें फिर रोजगार मिलेगा.

जमकर देखेंगे सिनेमा
सिनेमागृहों में दर्शकों की सीमित संख्या, सोशल डिस्टेंसिंग के झंझट से छुटकारा मिलेगा. ऐसे में बॉक्स आॅफिस पर पानी न मांग सकी अक्षय कुमार की ‘बच्चन पांडे’ जैसी फिल्मों के भी हाउसफुल होने की संभावना बढ़ जाएगी और किसी विशेष मकसद से बनाई गई किसी विशेष फिल्म को देखने जाने के लिए किसी विशेष राजनीतिक पार्टी को नुक्कड़ सभाएं नहीं करनी पड़ेंगी.

जिम और फंक्शन का खत्म हुआ टेंशन
जिम पूरी क्षमता के साथ खुलेंगे. लोग कसरत करेंगे तो स्वस्थ रहेंगे, लोग स्वस्थ रहेंगे तो देश स्वस्थ रहेगा. वैसे भी कोरोना संकटकाल में जिम मालिकों को भयंकर नुकसान उठाना पड़ा है. सार्वजनिक कार्यक्रमों, शादी समारोहों में अब लोगों की संख्या नहीं गिनी जाएगी. एक हजार का गैस सिलिंडर भरवाने वाले लोगों को कभी-कभार ऐसे समारोहों में जाने का अवसर प्राप्त होगा. इससे उनकी गैस बचेगी और आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में वे अपना योगदान दे सकेंगे.

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